पलकों पर ही रखा था उसे और उसके ख्वाब को
आँखे खोली दोनों फिसल गए
वो सदियों के लिए रूठ गया मुझसे
मैं और मेरे ख्वाब टूटकर बिखर गए मेरे ही पहलू में
“ऋतेश “
पलकों पर ही रखा था उसे और उसके ख्वाब को
आँखे खोली दोनों फिसल गए
वो सदियों के लिए रूठ गया मुझसे
मैं और मेरे ख्वाब टूटकर बिखर गए मेरे ही पहलू में
“ऋतेश “