‘मिसाइल मैन’ ‘भारत रत्न’ ‘पूर्व राष्ट्रपति’ डा.ए पी जे अब्दुल कलाम भाव भीनी श्रद्धांजलि …………….
सपने कैसे देखते हैं, वो बड़ी ज़ुल्फ़ों वाला सिखा गया
जाते जाते वो फिर से इंकलाब जगा गया
सुना है जबसे स्तब्ध है ये दिल, आसमां भी रो रहा है
वो बड़ी ज़ुल्फ़ों वाला “कलाम” चला गया
ख़ूबसूरती दिल में होती है शक्ल में नहीं होती
साधारण सी शक्ल वाला बहुत कुछ सिखा गया
देश अनाथ सा हो गया है, देश को छोड़कर
वो बड़ी ज़ुल्फ़ों वाला “कलाम” चला गया
न वो हिन्दू था न वो मुसलमान था शायद
वो सिर्फ भारतीय था, इक अच्छा इंसान चला गया
सबकी सोती आँखों में जगता हुआ वो ख्वाब बो गया
वो बड़ी ज़ुल्फ़ों वाला “कलाम” चला गया
“ऋतेश “