शहर में मिला था एक अज़नबी मुझसे
बोला उसे मालूम है एक नयी छुपी हुई दुनिया तलक जाने का रास्ता
वो वाकिफ है एक जादुई सीढ़ी से जो वहाँ तक जाती है
रास्ता बहुत आसान है और सफर बहुत छोटा है
उसकी बातो में सिर्फ और सिर्फ सच्चाई झलक रही थी
और उसकी भूरी आँखों में गज़ब का आत्मविश्वास था
उसने अपने पिछले सफर की बहुत सारी रोचक और हैरतअंगेज़ बातें भी बताई
उसने बताया के कैसे वहाँ पर एक गुमनाम सबसे अनजान एक बस्ती है
जहाँ पर गुफाओ के अंदर एक अलग दुनिया रहती है जो आज के विज्ञान की आँखों से ओझल है
उसने ये भी बताया के कैसे वहाँ पर लोग हवा और पानी पर चल सकते हैं
जो ख्वाब सोच ले उसे उसी पल हक़ीक़त में बदल सकते हैं
वहाँ रात और दिन के मायने हमारे कायदो से बिलकुल अलग हटकर बनाये गए है
नींद की पाबन्दी नहीं है वहाँ हाँ बस ख्वाब देखने के लिए आँखें मूंदनी पड़ती है
सबके पास एक तिलिस्मी अंगूठी है जिससे वो कभी भी कही भी पलक झपकते आ जा सकते है
कुछ भी पा सकते है
खान-पान की फिक्र ही नहीं सताती है किसी को
जब भी चाहो चीज़े हाज़िर हो जाती हैं भूख प्यास मिटाने के लिए
ना तो कोई बंधन है ना ही कोई सीमा है
ना आदि है ना अंत है
ना वक़्त की लगाम है ना ही कोई परतंत्र है
हर ओर छायी रौशनी हर कोई वहाँ स्वतन्त्र है
निराशा की कोई जगह नहीं आशाएँ अत्यंत हैं
मृत्यु का भी भय नहीं जीवन भी अनंत है
अज़नबी बोलता रहा और मैं महसूस करने लग गया था उस तिलिस्मी दुनिया को
मैं आतुर था वहां जाने के लिए
मैंने ख़ुशी के मारे बस्ते बांध लिए अपने
महीनो बीत गए हैं पर वो अज़नबी लौटकर नहीं आया अब तक
कह कर गया था के कुछ और ख्वाहिशमंदों को इत्तला करनी है
“ऋतेश”