![“तू कुछ और था”](https://poempanorama.in/wp-content/uploads/2022/01/IMG_1938-e1696942708318-420x361.jpg)
“तू कुछ और था”
शक्लो सूरत और किरदार सब बदल लिए तूने वक़्त ने तेरे चेहरे का नक़ाब जो हटाया तू कुछ और था कुछ और ही नज़र आया “ऋतेश”
Hindi Shayri Written By “Ritesh Kumar Mishra”
शक्लो सूरत और किरदार सब बदल लिए तूने वक़्त ने तेरे चेहरे का नक़ाब जो हटाया तू कुछ और था कुछ और ही नज़र आया “ऋतेश”
डरता हूँ तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये एक पूरा मौसम लगता है उसे वापस तुम्हारे होंठो तक ला पाने में मुझको “ऋतेश“
खड़े हैं इस किनारे, जाना है उस पार किसकी सलाह ली जाये जमा है हमारे इर्द-गिर्द नकाबपोशों की फ़ौज़ सच्चा कौन है ये पहचान कैसे की जाये “ऋतेश”
हैं ढेरों कश्तियाँ सामने मेरे समझ नहीं आता किसे साथ लेकर दरिया पार हो जाऊँ या डूब कर दरिया का ही हो जाऊं “ऋतेश””
सोचिये आज कैसे ये हालात हैं बदले से सबके खयालात हैं अपनों के लिए वक़्त की कमी है हमे गैरों पे हम इतने मेहरबान हैं “”ऋतेश”