“क्या तुमने वो लड़की देखी है?”

क्या तुमने वो लड़की देखी है? अभी कुछ देर पहले जिसके ठहाकों से ये घर गूँज रहा था उसके नंगे ज़मीन से रगड़ते हुए पाओं की सरसराहट अभी तो गुजरी थी बगल से क्या तुमने वो लड़की देखी है? अपनी उलझी हुई लटों में उसने पूरा घर सुलझा रखा था घर में रौशनी रहे सूरज…

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"वो रौबदार मूंछो वाला आदमी"

वो रौबदार मूंछो वाला आदमी बड़ा मायूस है बेटी की विदाई ने उसकी सूखी आँखों को डबा-डब कर दिया है आखिर बड़े ही नाज़ों से पाला था उसे अब दूसरे की उंगली थमा दी है उम्र भर के लिए बेटी कितनी बड़ी हो गई है अब जाके उसे एहसास हुआ नम आँखों से एक बाप…

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"पलकों पर ही रखा था"

पलकों पर ही रखा था उसे और उसके ख्वाब को आँखे खोली दोनों फिसल गए वो सदियों के लिए रूठ गया मुझसे मैं और मेरे ख्वाब टूटकर बिखर गए मेरे ही पहलू में “ऋतेश “

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"कलाम चला गया"

‘मिसाइल मैन’  ‘भारत रत्न’ ‘पूर्व राष्ट्रपति’ डा.ए पी जे अब्दुल कलाम भाव भीनी श्रद्धांजलि  ……………. सपने कैसे देखते हैं, वो बड़ी ज़ुल्फ़ों वाला सिखा गया जाते जाते वो फिर से इंकलाब जगा गया सुना है जबसे स्तब्ध है ये दिल, आसमां भी रो रहा है वो बड़ी ज़ुल्फ़ों वाला “कलाम” चला गया ख़ूबसूरती दिल में…

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"वो लड़का खामोश खड़ा"

वो लड़का खामोश खड़ा खिड़की से उस बिलकुल नए सूरज की ओर देख रहा था जो सुबह-सुबह अपनी पीली धूप से उसकी आँखे चकाचौंध कर रहा था बहुत तेज़ी से उसका सब कुछ उससे छूट रहा था जैसे सर्द रात की ओस घांस में अटकी रही हो, इठला रही हो अपने जीवन पे पर सहसा…

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"सरोज दिन-रात बुनती है कुछ मीठे सपने"

सरोज दिन-रात बुनती है कुछ मीठे सपने फिर उधेड़ती है, वापस बुनती है और थोड़ी देर में भूल जाती है सपनों के ऊन का गोला कहीं फिर झुंझलाती है, और बेरंग हो जाते हैं उसके सारे सपने……………………………………………………. मैंने बेहद करीब से देखा है, इक मासूम सा बचपन अभी भी तैरता है उसकी आँखों में जो…

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"तेरी यादों का तुझसे मुकम्मल कोई और खरीददार नहीं"

दिल की दराज़ से हर एक याद निकाली आहिस्ते से यादों पे पड़ी धूल झाड़ी हर याद को बड़े करीने से संभाला खट्टी- मीठी यादों को अलग- अलग झोले में डाला सोचा बेंच दूंगा इन्हे कोई अच्छा सा खरीददार देखकर और चल पड़ा मैं सपनो के बाजार में, कुछ यादों का सौदा करने शाम से…

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