"किसी को हद से ज्यादा चाहने पर ऐतराज़ रहा "
किसी को हद से ज्यादा चाहने पर ऐतराज़ रहा किसी को बस हमारा इंतज़ार रहा उलझ कर रह गए हम रिश्तों की बेड़ियों में सिर्फ वही था जिसे हमसे नफरत थी ऐसे बहुत थे जिन्हे सिर्फ हमसे प्यार रहा” “ऋतेश “
किसी को हद से ज्यादा चाहने पर ऐतराज़ रहा किसी को बस हमारा इंतज़ार रहा उलझ कर रह गए हम रिश्तों की बेड़ियों में सिर्फ वही था जिसे हमसे नफरत थी ऐसे बहुत थे जिन्हे सिर्फ हमसे प्यार रहा” “ऋतेश “
मैं खुश हूँ इसका उसे कोई गम है वो खुश है इसका मुझे कोई गम है मतलब साफ़ है, ऐ मेरे यारों यहां भी कोई गम है, वहाँ भी कोई गम है” “ऋतेश “
सुबह देर से क्यूँ नहीं आती, हर दोपहर उठकर सोचता हूँ रात जल्दी क्यूँ नहीं सोती, हर सुबह सोकर सोचता हूँ क्यूँ सोचता हूँ, ज़िंदगी के मायने कायदों से हटकर क्यूँ नहीं रह पाता, मैं सर्द रात सा सिमटकर मंज़िल जल्दी क्यूँ नहीं आती, हर मोड़ ठहरकर सोचता हूँ सुबह देर से क्यूँ नहीं आती,…
आज फिर जूते पहने है सुबह-सुबह, आज फिर पूरे दिन नहीं उतरेंगे वक़्त रेत सा फिसलेगा, हम लहरों से लड़ेंगे नज़र साहिल से टकरायेगी, हम थक के भी ना थकेंगे आज फिर होंगे कई यादगार लम्हे आज फिर मिलेंगी कुछ खुशियाँ, कुछ सदमे कुछ से रफीकी बढ़ेगी, कुछ खामखा रक़ीब बनेंगे कुछ से जन्मों के…
रंग-बिरंगी इस दुनियां में, मै आज क्यूँ इतना बेरंग सा हूँ फैली हुई इस धरती पे, मैं आज क्यूँ इतना तंग सा हूँ सांसे कुछ घुटी-घुटी सी हैं, हूँ आज परेशान हालातों से सुलझी हुई कुछ बातों में, मैं आज क्यूँ इतना उलझा सा हूँ रंग-बिरंगी इस दुनियां में, मै आज क्यूँ इतना बेरंग सा…
आज़ादी की सालगिरह पर सबमे है उन्माद भरा उम्र हो गई अड़सठ की, अब जाके देश जवान हुआ बीता बचपन ठोकरों में इसका, सभ्यता को भी ठेस लगी पड़ गई दरार संस्कृति में, जाति-पति की आग लगी पश्चिमी विकास की आंधी में, सामाजिक मूल्यों की बलि चढ़ी इस देश का जाने क्या होगा, अपराधियों के…
ज़िंदगी हर तरफ ज़ुदा है गर हम पहले के सिवाय कहीं और फ़िदा हैं ऋतेश “
आसमाँ आज तारों से नहीं भरा है काली बदलियाँ घिरी पड़ी हैं रातरानी के फूल खिल गए हैं मद्धम मद्धम बूंदे पड़ रही हैं और हवाएँ महक रही हैं मैं ऐसा हूँ के जैसा नहीं हूँ, मैं जैसा था, अब वैसा नहीं हूँ हर तरफ अँधेरा सा है, और मैं लाचार हूँ ज़िंदगी की कश्मकश…
कैंटीन की वो तेरह सीढ़ियां बड़ी मायूस हैं, ए दोस्त खामोश रहकर भी जाने कितने सवाल कर जाती हैं उन सीढ़ियों के साथ मुझे भी यकीन है, वो लम्हे तुम भी भुला नहीं पाये होगे | ये वो तेरह सीढ़ियां हैं जहाँ पर कुछ चेहरों की मुस्कराहट एक पोटली में बंधी है और सब उसे…