Blog

"अपना-अपना सब करते हैं"

अपना-अपना सब करते हैं, सबका क्या है पता नहीं इस झूठी धोखेबाज़ दुनियाँ में, अपना कौन है पता नहीं पैर लगा आगे बढ़ जाओ, वक़्त यही अब मांग रहा सफलता तमको तभी मिलेगी, हर व्यक्ति यही अब जान रहा गैरों की खातिरदारी में, रिश्तों की परवाह नहीं अपना-अपना सब करते हैं, सबका क्या है पता…

Read More

"भूले से भी ना भूलेगी, हॉस्टल की वो पहली रात "

भूले से भी ना भूलेगी, हॉस्टल की वो पहली रात याद रहेगी जीवन भर को सीनियर्स की सिखाई हर इक बात सबसे पहले इंट्रो होता, फिर चलते शब्दों के बाण कोई कहता डांस दिखाओ, मुश्किल में तब पड़ जाती जान भूले से भी ना भूलेगी, हॉस्टल की वो पहली रात……………….. कोई जीन्स-टीशर्ट पे चिढ़ता, किसी…

Read More

"हवा चली, पत्ते हिले"

हवा चली, पत्ते हिले, कुछ टूट गए, कुछ लगे रहे कुछ को कीड़ों ने खाया था, कुछ ताज़ा थे कुछ सड़े-गले सबकी ख्वाहिश सब जुड़े रहे, पर मौत कहा वो टाल सके किस पल को रुखसत होना है, ये राज़ कहा वो जान सकेकुछ के जाने पर कुछ रोये, कुछ से सब अनजान रहे कुछ…

Read More

"सुना है पिछली रात तुम बहुत रोये थे"

सुना है पिछली रात तुम बहुत रोये थे आँखों का सारा काजल फैला दिया था अपने गालों पर सुबह के तारे ने सब बता दिया है मुझको आंसू पोछ लो अब और मत रोना उस चाँद के लिए सदियों की अमावस तुम्ही ने मांगी थी उससे गुस्से में आकर और वो छुप गया है अँधेरा…

Read More

"फलक पे आधा चाँद"

फलक पे आधा चाँद लुका-छिपी खेल रहा था बादलों की ओट से ज़मीं पे लालटेन की लौ लड़ रही थी मद्धम हवा से सामने बह रही शांत सी नदी में लहरों का एक कारवां गुज़र रहा था बिना रुके-थके हर इक लहर चल रही थी बड़े कायदे से आगे वाली लहर की ऊँगली थामकर किसी…

Read More

"तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ"

तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ तेरी नीली आँखों से कुछ ख्वाब चुराने आया हूँ ना दे इल्ज़ाम तू चोरी का, मैं चोर नहीं दीवाना हूँ इस रात की बस औकात मेरी, मैं नन्हा इक परवाना हूँ ले चलूँ तुझे तारों की छाँव, आ चल मैं लेने आया हूँ तेरी मीठी रातों…

Read More

"तेरी यादों का तुझसे मुकम्मल कोई और खरीददार नहीं"

दिल की दराज़ से हर एक याद निकाली आहिस्ते से यादों पे पड़ी धूल झाड़ी हर याद को बड़े करीने से संभाला खट्टी- मीठी यादों को अलग- अलग झोले में डाला सोचा बेंच दूंगा इन्हे कोई अच्छा सा खरीददार देखकर और चल पड़ा मैं सपनो के बाजार में, कुछ यादों का सौदा करने शाम से…

Read More

"गुलमोहर का वो पेड़"

गुलमोहर का वो पेड़ जहा हम पहली बार मिले थे कुहरा-कुहरा चारो ओर था, गेंदे के फूल खिले थे ख़ामोशी थी चारो ओर और सुबह के सात बजे थे उनको तब पढ़ने जाना था, पर वो मेरे लिए खड़े थे गुलमोहर का वो पेड़ जहा हम पहली बार मिले थे………. होंठ उनके कांप रहे थे,…

Read More

"मर्ज़ियाँ मोड़ दी तुमने तो राह बदल गई"

मर्ज़ियाँ मोड़ दी तुमने तो राह बदल गई अर्ज़ियाँ मानते तो हम मुसाफिर नहीं होते बस इक सच बोल के मैंने वो सिलसिला शुरू किया था तुम सौ झूठ न बोलते, तो हम तनहा नहीं होते जो वक़्त तुमने तमाम नफरतों में खर्च दिए, हमारा इश्क़ ज़िंदाबाद होता गर तुम थोड़े बहुत भी मेरे जैसे…

Read More