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"फलक पे आधा चाँद"

फलक पे आधा चाँद लुका-छिपी खेल रहा था बादलों की ओट से ज़मीं पे लालटेन की लौ लड़ रही थी मद्धम हवा से सामने बह रही शांत सी नदी में लहरों का एक कारवां गुज़र रहा था बिना रुके-थके हर इक लहर चल रही थी बड़े कायदे से आगे वाली लहर की ऊँगली थामकर किसी…

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"तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ"

तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ तेरी नीली आँखों से कुछ ख्वाब चुराने आया हूँ ना दे इल्ज़ाम तू चोरी का, मैं चोर नहीं दीवाना हूँ इस रात की बस औकात मेरी, मैं नन्हा इक परवाना हूँ ले चलूँ तुझे तारों की छाँव, आ चल मैं लेने आया हूँ तेरी मीठी रातों…

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"तेरी यादों का तुझसे मुकम्मल कोई और खरीददार नहीं"

दिल की दराज़ से हर एक याद निकाली आहिस्ते से यादों पे पड़ी धूल झाड़ी हर याद को बड़े करीने से संभाला खट्टी- मीठी यादों को अलग- अलग झोले में डाला सोचा बेंच दूंगा इन्हे कोई अच्छा सा खरीददार देखकर और चल पड़ा मैं सपनो के बाजार में, कुछ यादों का सौदा करने शाम से…

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"गुलमोहर का वो पेड़"

गुलमोहर का वो पेड़ जहा हम पहली बार मिले थे कुहरा-कुहरा चारो ओर था, गेंदे के फूल खिले थे ख़ामोशी थी चारो ओर और सुबह के सात बजे थे उनको तब पढ़ने जाना था, पर वो मेरे लिए खड़े थे गुलमोहर का वो पेड़ जहा हम पहली बार मिले थे………. होंठ उनके कांप रहे थे,…

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"मर्ज़ियाँ मोड़ दी तुमने तो राह बदल गई"

मर्ज़ियाँ मोड़ दी तुमने तो राह बदल गई अर्ज़ियाँ मानते तो हम मुसाफिर नहीं होते बस इक सच बोल के मैंने वो सिलसिला शुरू किया था तुम सौ झूठ न बोलते, तो हम तनहा नहीं होते जो वक़्त तुमने तमाम नफरतों में खर्च दिए, हमारा इश्क़ ज़िंदाबाद होता गर तुम थोड़े बहुत भी मेरे जैसे…

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"किसी को हद से ज्यादा चाहने पर ऐतराज़ रहा "

किसी को हद से ज्यादा चाहने पर ऐतराज़ रहा किसी को बस हमारा इंतज़ार रहा उलझ कर रह गए हम रिश्तों की बेड़ियों में सिर्फ वही था जिसे हमसे नफरत थी ऐसे बहुत थे जिन्हे सिर्फ हमसे प्यार रहा” “ऋतेश “

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"सुबह देर से क्यूँ नहीं आती"

सुबह देर से क्यूँ नहीं आती, हर दोपहर उठकर सोचता हूँ रात जल्दी क्यूँ नहीं सोती, हर सुबह सोकर सोचता हूँ क्यूँ सोचता हूँ, ज़िंदगी के मायने कायदों से हटकर क्यूँ नहीं रह पाता, मैं सर्द रात सा सिमटकर मंज़िल जल्दी क्यूँ नहीं आती, हर मोड़ ठहरकर सोचता हूँ सुबह देर से क्यूँ नहीं आती,…

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"आज फिर जूते पहने है सुबह-सुबह"

आज फिर जूते पहने है सुबह-सुबह, आज फिर पूरे दिन नहीं उतरेंगे वक़्त रेत सा फिसलेगा, हम लहरों से लड़ेंगे नज़र साहिल से टकरायेगी, हम थक के भी ना थकेंगे आज फिर होंगे कई यादगार लम्हे आज फिर मिलेंगी कुछ खुशियाँ, कुछ सदमे कुछ से रफीकी बढ़ेगी, कुछ खामखा रक़ीब बनेंगे कुछ से जन्मों के…

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