"तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ"

तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ तेरी नीली आँखों से कुछ ख्वाब चुराने आया हूँ ना दे इल्ज़ाम तू चोरी का, मैं चोर नहीं दीवाना हूँ इस रात की बस औकात मेरी, मैं नन्हा इक परवाना हूँ ले चलूँ तुझे तारों की छाँव, आ चल मैं लेने आया हूँ तेरी मीठी रातों…

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"मर्ज़ियाँ मोड़ दी तुमने तो राह बदल गई"

मर्ज़ियाँ मोड़ दी तुमने तो राह बदल गई अर्ज़ियाँ मानते तो हम मुसाफिर नहीं होते बस इक सच बोल के मैंने वो सिलसिला शुरू किया था तुम सौ झूठ न बोलते, तो हम तनहा नहीं होते जो वक़्त तुमने तमाम नफरतों में खर्च दिए, हमारा इश्क़ ज़िंदाबाद होता गर तुम थोड़े बहुत भी मेरे जैसे…

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"आज फिर जूते पहने है सुबह-सुबह"

आज फिर जूते पहने है सुबह-सुबह, आज फिर पूरे दिन नहीं उतरेंगे वक़्त रेत सा फिसलेगा, हम लहरों से लड़ेंगे नज़र साहिल से टकरायेगी, हम थक के भी ना थकेंगे आज फिर होंगे कई यादगार लम्हे आज फिर मिलेंगी कुछ खुशियाँ, कुछ सदमे कुछ से रफीकी बढ़ेगी, कुछ खामखा रक़ीब बनेंगे कुछ से जन्मों के…

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"मैं कैसे भूल सकता हूँ "

वो मंज़र वो समंदर, मैं कैसे भूल सकता हूँ वो उजली रात, वो मीठी बात, मैं कैसे भूल सकता हूँ तेरा खिड़की के किनारे से मुझको तकना वो आँखों के इशारे से शिकायत करना वो हर याद, वो मुलाकात, मैं कैसे भूल सकता हूँ वो मंज़र वो समंदर, मैं कैसे भूल सकता हूँ है तू…

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"माँ अब नींद नहीं आती"

माँ अब नींद नहीं आती बस तेरी याद सताती है एक शिकायत है तुझसे अब तू लोरी नहीं सुनाती है रातें बिन सपनो की हैं दुनियां बिन अपनों की है वैसे तो कोई दर्द नहीं बस तेरी याद रुलाती है माँ अब नींद नहीं आती बस तेरी याद सताती है एक शिकायत है तुझसे अब…

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"बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो "

बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो फर्क सिर्फ अंदाज़े-बयां का है ये सन्नाटा कुछ और नहीं, अंदेशा किसी बड़े तूफ़ान का है लगता है बदलेगी तस्वीर ज़िंदगी की दोबारा लिखी जाएगी तक़दीर ज़िंदगी की इस नयेपन पे मत जाओ, अंदाज़ा किसी बड़े बदलाव का है बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो…

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"कहाँ गयीं वो कहानियाँ भरी रातें "

कहाँ गयीं वो कहानियाँ भरी रातें घर के बुजुर्गों की सहूलियत भरी बातें चूल्हे पर सिकीं वो रोटियां कहाँ छिपाई है माँ ने मिठाई, रास्ता बताती वो चीटींया कहाँ गए वो खेलने कूदने के दिन कहाँ गयी वो मस्तियाँ बहते वक़्त में छूट गए वो हंसी किनारे कट जाएगी ज़िंदगी उन यादों के सहारे अब…

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"इतना मुश्किल भी नहीं है, ये जीवन जीना"

इतना मुश्किल भी नहीं है, ये जीवन जीना ज़रूरी है इक अच्छा इंसान बनना जीत की महक इक दिन ज़रूर आएगी ज़रूरी है एक सच्चा इंसान बनना ‘यूँ तो ख़ुशी और दर्द मिलते ही रहते हैं ज़रूरी है दर्द को रेत पर लिखना और खुशियों को पत्थरों पर तराशना’ रेत पर लिखा दर्द, हवा के…

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