"सुबह देर से क्यूँ नहीं आती"

सुबह देर से क्यूँ नहीं आती, हर दोपहर उठकर सोचता हूँ रात जल्दी क्यूँ नहीं सोती, हर सुबह सोकर सोचता हूँ क्यूँ सोचता हूँ, ज़िंदगी के मायने कायदों से हटकर क्यूँ नहीं रह पाता, मैं सर्द रात सा सिमटकर मंज़िल जल्दी क्यूँ नहीं आती, हर मोड़ ठहरकर सोचता हूँ सुबह देर से क्यूँ नहीं आती,…

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"रंग-बिरंगी इस दुनियां में"

रंग-बिरंगी इस दुनियां में, मै आज क्यूँ इतना बेरंग सा हूँ फैली हुई इस धरती पे, मैं आज क्यूँ इतना तंग सा हूँ सांसे कुछ घुटी-घुटी सी हैं, हूँ आज परेशान हालातों से सुलझी हुई कुछ बातों में, मैं आज क्यूँ इतना उलझा सा हूँ रंग-बिरंगी इस दुनियां में, मै आज क्यूँ इतना बेरंग सा…

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