"मज़बूर हूँ, आ नहीं सकता तेरी पनाह में "
मज़बूर हूँ, आ नहीं सकता तेरी पनाह में गुस्ताख़ हवा का इक झोंका भेजा है हौले से तुम्हे छू कर गुज़र जायेगा बिखरी हुई जुल्फों को खुद ना सुलझाना उन्हें रहने देना थोड़ी देर, लाल सुर्ख गालों पर, इठलाने देना मैं कल लौटूंगा तो उन्हें कान के पीछे आहिस्ते से लगा दूंगा मज़बूर हूँ, आ…