“तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये”
डरता हूँ तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये एक पूरा मौसम लगता है उसे वापस तुम्हारे होंठो तक ला पाने में मुझको “ऋतेश“
डरता हूँ तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये एक पूरा मौसम लगता है उसे वापस तुम्हारे होंठो तक ला पाने में मुझको “ऋतेश“
ऐसा नहीं है तुझे तुझसे छीन रहा हूँ मैं ऐ ज़िंदगी, तेरी ज़िंदगी में कुछ नए रंग भर रहा हूँ मैं फिसल गया था कभी ज़माने की अंधी दौड़ में जो तेरी उंगली थामकर आहिस्ता-आहिस्ता फिर से चल रहा हूँ मैं इक लौ जो बुझ गयी थी सीने में पिछली आँधियों में वो आग फिर…
तुझे ख्वाब लिखूं, मेहताब लिखूं, आरज़ू लिखूं, ज़ुस्तज़ू लिखूं या कुछ और तेरा मासूम सा अल्हड़पन छेड़ देता है मन के सारे तार और गूँज उठता है इक संगीत आबो-हवा में सच कहूँ तपती रेत में पहली बरसात सी लगती है तू मुझे बहका देती है तेरी कस्तूरी जब तू गुज़रती है हिरनी सी मदमस्त…
मज़बूर हूँ, आ नहीं सकता तेरी पनाह में गुस्ताख़ हवा का इक झोंका भेजा है हौले से तुम्हे छू कर गुज़र जायेगा बिखरी हुई जुल्फों को खुद ना सुलझाना उन्हें रहने देना थोड़ी देर, लाल सुर्ख गालों पर, इठलाने देना मैं कल लौटूंगा तो उन्हें कान के पीछे आहिस्ते से लगा दूंगा मज़बूर हूँ, आ…
फलक पे आधा चाँद लुका-छिपी खेल रहा था बादलों की ओट से ज़मीं पे लालटेन की लौ लड़ रही थी मद्धम हवा से सामने बह रही शांत सी नदी में लहरों का एक कारवां गुज़र रहा था बिना रुके-थके हर इक लहर चल रही थी बड़े कायदे से आगे वाली लहर की ऊँगली थामकर किसी…
तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ तेरी नीली आँखों से कुछ ख्वाब चुराने आया हूँ ना दे इल्ज़ाम तू चोरी का, मैं चोर नहीं दीवाना हूँ इस रात की बस औकात मेरी, मैं नन्हा इक परवाना हूँ ले चलूँ तुझे तारों की छाँव, आ चल मैं लेने आया हूँ तेरी मीठी रातों…
गुलमोहर का वो पेड़ जहा हम पहली बार मिले थे कुहरा-कुहरा चारो ओर था, गेंदे के फूल खिले थे ख़ामोशी थी चारो ओर और सुबह के सात बजे थे उनको तब पढ़ने जाना था, पर वो मेरे लिए खड़े थे गुलमोहर का वो पेड़ जहा हम पहली बार मिले थे………. होंठ उनके कांप रहे थे,…