"कैंटीन की वो तेरह सीढ़ियां"

कैंटीन की वो तेरह सीढ़ियां बड़ी मायूस हैं, ए दोस्त खामोश रहकर भी जाने कितने सवाल कर जाती हैं उन सीढ़ियों के साथ मुझे भी यकीन  है, वो लम्हे तुम भी भुला नहीं पाये होगे | ये वो तेरह सीढ़ियां हैं जहाँ पर कुछ चेहरों की मुस्कराहट एक पोटली में बंधी है और सब उसे…

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"बहते जाना पानी की फितरत है"

बहते जाना पानी की फितरत है पर समंदर की लहरों का भी दायरा होता है उनकी लहरों का भी किनारा होता है यूँ तो साथ रहते हैं हम सभी सबको अपना कहते हैं हम सभी पर अक्सर नज़दीकियों में भी फ़ासला होता है अपनों को ठुकराने का हौसला होता है बहते जाना पानी की फितरत…

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"मैं कैसे भूल सकता हूँ "

वो मंज़र वो समंदर, मैं कैसे भूल सकता हूँ वो उजली रात, वो मीठी बात, मैं कैसे भूल सकता हूँ तेरा खिड़की के किनारे से मुझको तकना वो आँखों के इशारे से शिकायत करना वो हर याद, वो मुलाकात, मैं कैसे भूल सकता हूँ वो मंज़र वो समंदर, मैं कैसे भूल सकता हूँ है तू…

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"माँ अब नींद नहीं आती"

माँ अब नींद नहीं आती बस तेरी याद सताती है एक शिकायत है तुझसे अब तू लोरी नहीं सुनाती है रातें बिन सपनो की हैं दुनियां बिन अपनों की है वैसे तो कोई दर्द नहीं बस तेरी याद रुलाती है माँ अब नींद नहीं आती बस तेरी याद सताती है एक शिकायत है तुझसे अब…

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"बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो "

बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो फर्क सिर्फ अंदाज़े-बयां का है ये सन्नाटा कुछ और नहीं, अंदेशा किसी बड़े तूफ़ान का है लगता है बदलेगी तस्वीर ज़िंदगी की दोबारा लिखी जाएगी तक़दीर ज़िंदगी की इस नयेपन पे मत जाओ, अंदाज़ा किसी बड़े बदलाव का है बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो…

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"कहाँ गयीं वो कहानियाँ भरी रातें "

कहाँ गयीं वो कहानियाँ भरी रातें घर के बुजुर्गों की सहूलियत भरी बातें चूल्हे पर सिकीं वो रोटियां कहाँ छिपाई है माँ ने मिठाई, रास्ता बताती वो चीटींया कहाँ गए वो खेलने कूदने के दिन कहाँ गयी वो मस्तियाँ बहते वक़्त में छूट गए वो हंसी किनारे कट जाएगी ज़िंदगी उन यादों के सहारे अब…

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"इतना मुश्किल भी नहीं है, ये जीवन जीना"

इतना मुश्किल भी नहीं है, ये जीवन जीना ज़रूरी है इक अच्छा इंसान बनना जीत की महक इक दिन ज़रूर आएगी ज़रूरी है एक सच्चा इंसान बनना ‘यूँ तो ख़ुशी और दर्द मिलते ही रहते हैं ज़रूरी है दर्द को रेत पर लिखना और खुशियों को पत्थरों पर तराशना’ रेत पर लिखा दर्द, हवा के…

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“छोड़कर करवटें बदलना”

छोड़कर करवटें बदलना उठ जिंदगी तू नींद से कुछ पाने की उम्मीद से उठ जिंदगी तू नींद से नाज़ुक है सपनों की हक़ीक़त से कड़ी लेकर हाथों में पैगाम, सुबह की पीली धूप खडी बदल दे दुनिया का खाका, तू अपनी पहचान से तोड़कर ख्वाबों का धागा उठ जिंदगी तू नींद से कुछ पाने की…

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