"तू पास नहीं तो क्या हुआ"
तू पास नहीं तो क्या हुआ हर रोज़ तेरे ख्वाबो से ज़रा सी ज़िंदगी उधार लेता हूँ फिर निकल पड़ता हूँ एक सुनसान सड़क पर, तुम्हारी तलाश में जो शाम तक मुझे थकाकर, फिर ले आती है तुम्हारे ख्वाबों के पनाह में थोड़ी सी ज़िंदगी उधार मांगने “ऋतेश “