"छुपा लूंगा दर्द के हर निशाँ"

छुपा लूंगा दर्द के हर निशाँ और डाल दूंगा मिट्टी की इक मोटी परत उनपे वापस बोऊंगा नए बीज कल्पनाओं के, सपनों के खड़ा करूँगा इक नया पेड़, भले इक सदी खर्च दूँ फिर से पर मैं नहीं पहनूंगा कोई नक़ाब मैं नहीं बदलूंगा वक़्त की किसी चाल पे बनाऊंगा इक नया आशियाँ इक नया…

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"हवा चली, पत्ते हिले"

हवा चली, पत्ते हिले, कुछ टूट गए, कुछ लगे रहे कुछ को कीड़ों ने खाया था, कुछ ताज़ा थे कुछ सड़े-गले सबकी ख्वाहिश सब जुड़े रहे, पर मौत कहा वो टाल सके किस पल को रुखसत होना है, ये राज़ कहा वो जान सकेकुछ के जाने पर कुछ रोये, कुछ से सब अनजान रहे कुछ…

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"आज फिर जूते पहने है सुबह-सुबह"

आज फिर जूते पहने है सुबह-सुबह, आज फिर पूरे दिन नहीं उतरेंगे वक़्त रेत सा फिसलेगा, हम लहरों से लड़ेंगे नज़र साहिल से टकरायेगी, हम थक के भी ना थकेंगे आज फिर होंगे कई यादगार लम्हे आज फिर मिलेंगी कुछ खुशियाँ, कुछ सदमे कुछ से रफीकी बढ़ेगी, कुछ खामखा रक़ीब बनेंगे कुछ से जन्मों के…

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"आज़ादी की सालगिरह पर"

आज़ादी की सालगिरह पर सबमे है उन्माद भरा उम्र हो गई अड़सठ की, अब जाके देश जवान हुआ बीता बचपन ठोकरों में इसका, सभ्यता को भी ठेस लगी पड़ गई दरार संस्कृति में, जाति-पति की आग लगी पश्चिमी विकास की आंधी में, सामाजिक मूल्यों की बलि चढ़ी इस देश का जाने क्या होगा, अपराधियों के…

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"बहते जाना पानी की फितरत है"

बहते जाना पानी की फितरत है पर समंदर की लहरों का भी दायरा होता है उनकी लहरों का भी किनारा होता है यूँ तो साथ रहते हैं हम सभी सबको अपना कहते हैं हम सभी पर अक्सर नज़दीकियों में भी फ़ासला होता है अपनों को ठुकराने का हौसला होता है बहते जाना पानी की फितरत…

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"बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो "

बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो फर्क सिर्फ अंदाज़े-बयां का है ये सन्नाटा कुछ और नहीं, अंदेशा किसी बड़े तूफ़ान का है लगता है बदलेगी तस्वीर ज़िंदगी की दोबारा लिखी जाएगी तक़दीर ज़िंदगी की इस नयेपन पे मत जाओ, अंदाज़ा किसी बड़े बदलाव का है बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो…

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"इतना मुश्किल भी नहीं है, ये जीवन जीना"

इतना मुश्किल भी नहीं है, ये जीवन जीना ज़रूरी है इक अच्छा इंसान बनना जीत की महक इक दिन ज़रूर आएगी ज़रूरी है एक सच्चा इंसान बनना ‘यूँ तो ख़ुशी और दर्द मिलते ही रहते हैं ज़रूरी है दर्द को रेत पर लिखना और खुशियों को पत्थरों पर तराशना’ रेत पर लिखा दर्द, हवा के…

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“छोड़कर करवटें बदलना”

छोड़कर करवटें बदलना उठ जिंदगी तू नींद से कुछ पाने की उम्मीद से उठ जिंदगी तू नींद से नाज़ुक है सपनों की हक़ीक़त से कड़ी लेकर हाथों में पैगाम, सुबह की पीली धूप खडी बदल दे दुनिया का खाका, तू अपनी पहचान से तोड़कर ख्वाबों का धागा उठ जिंदगी तू नींद से कुछ पाने की…

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