बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो
फर्क सिर्फ अंदाज़े-बयां का है
ये सन्नाटा कुछ और नहीं, अंदेशा किसी बड़े तूफ़ान का है
लगता है बदलेगी तस्वीर ज़िंदगी की
दोबारा लिखी जाएगी तक़दीर ज़िंदगी की
इस नयेपन पे मत जाओ, अंदाज़ा किसी बड़े बदलाव का है
बात वो नहीं जो तुम समझ रहे हो
फर्क सिर्फ अंदाज़े-बयां का है
ये सन्नाटा कुछ और नहीं, अंदेशा किसी बड़े तूफ़ान का है ||
“ऋतेश “