RItesh Kumar Mishra

"छुपा लूंगा दर्द के हर निशाँ"

छुपा लूंगा दर्द के हर निशाँ और डाल दूंगा मिट्टी की इक मोटी परत उनपे वापस बोऊंगा नए बीज कल्पनाओं के, सपनों के खड़ा करूँगा इक नया पेड़, भले इक सदी खर्च दूँ फिर से पर मैं नहीं पहनूंगा कोई नक़ाब मैं नहीं बदलूंगा वक़्त की किसी चाल पे बनाऊंगा इक नया आशियाँ इक नया…

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"अपना-अपना सब करते हैं"

अपना-अपना सब करते हैं, सबका क्या है पता नहीं इस झूठी धोखेबाज़ दुनियाँ में, अपना कौन है पता नहीं पैर लगा आगे बढ़ जाओ, वक़्त यही अब मांग रहा सफलता तमको तभी मिलेगी, हर व्यक्ति यही अब जान रहा गैरों की खातिरदारी में, रिश्तों की परवाह नहीं अपना-अपना सब करते हैं, सबका क्या है पता…

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"भूले से भी ना भूलेगी, हॉस्टल की वो पहली रात "

भूले से भी ना भूलेगी, हॉस्टल की वो पहली रात याद रहेगी जीवन भर को सीनियर्स की सिखाई हर इक बात सबसे पहले इंट्रो होता, फिर चलते शब्दों के बाण कोई कहता डांस दिखाओ, मुश्किल में तब पड़ जाती जान भूले से भी ना भूलेगी, हॉस्टल की वो पहली रात……………….. कोई जीन्स-टीशर्ट पे चिढ़ता, किसी…

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"हवा चली, पत्ते हिले"

हवा चली, पत्ते हिले, कुछ टूट गए, कुछ लगे रहे कुछ को कीड़ों ने खाया था, कुछ ताज़ा थे कुछ सड़े-गले सबकी ख्वाहिश सब जुड़े रहे, पर मौत कहा वो टाल सके किस पल को रुखसत होना है, ये राज़ कहा वो जान सकेकुछ के जाने पर कुछ रोये, कुछ से सब अनजान रहे कुछ…

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"सुना है पिछली रात तुम बहुत रोये थे"

सुना है पिछली रात तुम बहुत रोये थे आँखों का सारा काजल फैला दिया था अपने गालों पर सुबह के तारे ने सब बता दिया है मुझको आंसू पोछ लो अब और मत रोना उस चाँद के लिए सदियों की अमावस तुम्ही ने मांगी थी उससे गुस्से में आकर और वो छुप गया है अँधेरा…

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