ऐसा नहीं है तुझे तुझसे छीन रहा हूँ मैं
ऐ ज़िंदगी, तेरी ज़िंदगी में कुछ नए रंग भर रहा हूँ मैं
फिसल गया था कभी ज़माने की अंधी दौड़ में जो
तेरी उंगली थामकर आहिस्ता-आहिस्ता फिर से चल रहा हूँ मैं
इक लौ जो बुझ गयी थी सीने में पिछली आँधियों में
वो आग फिर से जल उठी है
फिर से तेरी रौशनी में चमक उठा हूँ मैं
ऐसा नहीं है तुझे तुझसे छीन रहा हूँ मैं……………………………
तेरे ख्वाब अब सिर्फ तेरी आँखों के ख्वाब नहीं रहे
वो ख्वाब अब मेरे भी अपने है
उन्हें खुद की आँखों में बो रहा हूँ मैं
ऐसा नहीं है तुझे तुझसे छीन रहा हूँ मैं……………………………
तू बस एक साथ का वादा दे दे
मेरी उम्मीदों को थोड़ा सा सहारा दे दे
फिर देख कैसे वक़्त को बदल रहा हूँ मैं
ऐसा नहीं है तुझे तुझसे छीन रहा हूँ मैं……………………………
तू मुस्कान सी बिखर रही है मेरे चेहरे पर
तू लोहबान सी महक रही है मेरे अंदर
तेरे इश्क़ में संवर रहा हूँ मैं
ऐसा नहीं है तुझे तुझसे छीन रहा हूँ मैं
ऐ ज़िंदगी, तेरी ज़िंदगी में कुछ नए रंग भर रहा हूँ मैं………….
“ऋतेश”