अभी-अभी तो उड़ना सीखा था
हवाओं से लड़ना सीखा था
वक़्त ने हमारे पर काट लिए
अभी अभी तो मुस्कुराना सीखा था
तमन्ना थी की आसमाँ को नापेंगे
है दम कितना खुद में ये जाचेंगे
पर पहली ही उड़ान में तूफ़ान आ गया
हमने तो अभी इस डाल से उस डाल पर फुदकना सीखा था
अभी अभी तो उड़ना सीखा था…………………………………..
हमें क्या पता था वक़्त की पेचीदगियों के बारे में
बदलते मौसम की बेरुखी के बारे में
पहली बार खुला आसमान देखा था
रंग-बिरंगे सपनो का संसार देखा था
अभी-अभी तो उड़ना सीखा था…………………………………..
“ऋतेश “