तू परेशान है तो आसानी किसको है
सब कुछ यूँ ही मिल जाये तो परेशानी किसको है
वो बहक गया देखा – देखी
कल मै भी जो बहक जाऊं तो हैरानी किसको है
लुट रहा है मुल्क चलो हम भी कुछ लूट लें
मुफ्तखोरी से भला इस मुल्क में बदहज़मी किसको है
तू परेशान है तो आसानी किसको है
इतिहास गवाह है के हमने खुद को खुद ही बर्बाद किया है
हज़ारों साल की ये आदत इक पल में बदल जाये
ये ग़लतफहमी किसको है
अरे धरम तो जीना सिखाता है हम तो मरने मारने पर आमादा हैं
धर्म और अधर्म में फर्क क्या है
ये समझदारी किसको है
अच्छे भले घरौंदो को हमने तोड़ दिया या टूटने दिया यूँ ही
उजड़ी बस्तियां उजड़े घर बिखरे लोग कोई तो जोड़ दे
अब ये कलाकारी किसको है
हमने तो रिश्वत का रिवाज़ बचपन से सीखा है
चोरों के शहर में रत्ती भर की अब ईमानदारी किसको है
वो कहता है के वो सब कुछ बदल देगा इक दिन
सुबह का भूला लगता है ये अजब सी खुमारी किसको है
निकल पड़ा है वो सच की मशाल हाथ में लिए अकेले ही
झूठ के अस्पताल में ये सच की बीमारी किसको है
तू परेशान है तो आसानी किसको है
सब कुछ यूँ ही मिल जाये तो परेशानी किसको है
वो बहक गया देखा – देखी
कल मै भी जो बहक जाऊं तो हैरानी किसको है
“ऋतेश“