![“तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये”](https://poempanorama.in/wp-content/uploads/2022/01/BBD815B6-30AA-4CF2-9F25-2E7CCDDDF253-420x420.jpg)
“तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये”
डरता हूँ तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये एक पूरा मौसम लगता है उसे वापस तुम्हारे होंठो तक ला पाने में मुझको “ऋतेश“
डरता हूँ तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये एक पूरा मौसम लगता है उसे वापस तुम्हारे होंठो तक ला पाने में मुझको “ऋतेश“
तुझे ख्वाब लिखूं, मेहताब लिखूं, आरज़ू लिखूं, ज़ुस्तज़ू लिखूं या कुछ और तेरा मासूम सा अल्हड़पन छेड़ देता है मन के सारे तार और गूँज उठता है इक संगीत आबो-हवा में सच कहूँ तपती रेत में पहली बरसात सी लगती है तू मुझे बहका देती है तेरी कस्तूरी जब तू गुज़रती है हिरनी सी मदमस्त…