“तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये”
डरता हूँ तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये एक पूरा मौसम लगता है उसे वापस तुम्हारे होंठो तक ला पाने में मुझको “ऋतेश“
डरता हूँ तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये एक पूरा मौसम लगता है उसे वापस तुम्हारे होंठो तक ला पाने में मुझको “ऋतेश“
हर बात में एक कहानी छुपी है जिसके पीछे किरदार छिपे है अलग-अलग नक़ाब लगाए हुए, छुपाते है अपनी असल शक़्ल को इस क़दर जो कभी सामना हो खुद का आईने से तो खुद की आँख भी धोखा खा जाये और नक़ाब ओढ़े हुए किरदार को खुद भी ना पहचान पाए यही फलसफा है दुनिया…
किसकी तलाश में हो क्या ढूंढ रहे हो तुम क्या क्या याद है तुम्हे अब तलक क्या खुद को ही भूल गए हो तुम क्या तुम में वो बात है क्या तुम्हारी औकात है कौन से सवालों में उलझे हुए हो किसके जवाब से परेशां हो तुम आग है अभी भी या सिर्फ राख बची…
यादों को यादों की गलियों में छोड़ ख्वाबों को चुनने हम चल दिए हैं ठंडी सी रात में आँखों को मीचे दिन की तलाश में हम सिरफिरे हैं तलब है उजाले को मुट्ठी में करना अंधेरो को पीछे छोड़कर हम चले है लकीरे हथेली की यूँ ना बदलेंगी बदलने को तक़दीर सजग हैं, अटल हैं…
इक और साल गुज़र रहा है, कुछ नमकीन कुछ मीठी यादें देकर इक नया साल सामने खड़ा है, वक़्त के अनजान टुकड़ों को पोटली में बांधकर नए लिबास में कितना मासूम दिख रहा है अपनी पलकें खोलने को बेकरार खड़ा है उमीदों का बहुत बोझ होगा इस आने वाले साल पर कई अनसुलझे सवालों के…
छुपा लूंगा दर्द के हर निशाँ और डाल दूंगा मिट्टी की इक मोटी परत उनपे वापस बोऊंगा नए बीज कल्पनाओं के, सपनों के खड़ा करूँगा इक नया पेड़, भले इक सदी खर्च दूँ फिर से पर मैं नहीं पहनूंगा कोई नक़ाब मैं नहीं बदलूंगा वक़्त की किसी चाल पे बनाऊंगा इक नया आशियाँ इक नया…