“थोड़ा सा फर्क पड़ेगा, तुम्हे भी और मुझे भी”

थोड़ा सा फर्क पड़ेगा, तुम्हे भी और मुझे भी जब हम दूर हो जायेंगे, नदी के दो किनारो के जैसे जो कभी नहीं मिलते थोड़ा सा फर्क पड़ेगा, तुम्हे भी और मुझे भी जब हम चुप हो जायेंगे, पत्थर की तरह जो कभी बोलते नहीं थोड़ा सा फर्क पड़ेगा, तुम्हे भी और मुझे भी जब…

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“कवितायेँ”

कवितायेँ माध्यम हैं अपनी  संवेदनाओ  को बताने की, कवितायेँ साधन है भीगी पलकों को सुखाने की, ये हर दर्द को पन्नो पे खुरच देती हैं, और हर ख़ुशी में आहिस्ते से हँस देती हैं, कवितायेँ राह है मंज़िल पाने की, कवितायेँ उम्मीद हैं सपने सजाने की, कवितायेँ माध्यम हैं अपनी  संवेदनाओ  को बताने की, कवितायेँ साधन…

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