"कहाँ गयीं वो कहानियाँ भरी रातें "
कहाँ गयीं वो कहानियाँ भरी रातें घर के बुजुर्गों की सहूलियत भरी बातें चूल्हे पर सिकीं वो रोटियां कहाँ छिपाई है माँ ने मिठाई, रास्ता बताती वो चीटींया कहाँ गए वो खेलने कूदने के दिन कहाँ गयी वो मस्तियाँ बहते वक़्त में छूट गए वो हंसी किनारे कट जाएगी ज़िंदगी उन यादों के सहारे अब…