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“तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये”

डरता हूँ तेरी मुस्कराहट कहीं गुम ना हो जाये एक पूरा मौसम लगता है उसे वापस तुम्हारे होंठो तक ला पाने में मुझको “ऋतेश“

किसकी तलाश में हो

किसकी तलाश में हो क्या ढूंढ रहे हो तुम क्या क्या याद है तुम्हे अब तलक क्या खुद को ही भूल गए हो तुम क्या तुम में वो बात है क्या तुम्हारी औकात है कौन से सवालों में उलझे हुए हो किसके जवाब से परेशां हो तुम आग है अभी भी या सिर्फ राख बची […]

"वो रौबदार मूंछो वाला आदमी"

वो रौबदार मूंछो वाला आदमी बड़ा मायूस है बेटी की विदाई ने उसकी सूखी आँखों को डबा-डब कर दिया है आखिर बड़े ही नाज़ों से पाला था उसे अब दूसरे की उंगली थमा दी है उम्र भर के लिए बेटी कितनी बड़ी हो गई है अब जाके उसे एहसास हुआ नम आँखों से एक बाप […]

"सुबह के ६ बजे दरवाजे पे दस्तक पर"

सुबह के ६ बजे दरवाजे पे दस्तक पर माँ ने दरवाजा खोला कोदई की माँ बर्तन धोने आई थी हम दुबके पड़े थे रजाई की आगोश में भरी शीतलहर में, कोदई की माँ मील चलकर आई थी माँ रोज कहती, अम्मा इतनी ठण्ड में मत आया करो बूढ़े बदन में ठण्ड लग जाएगी, घर पे […]

"सुबह तक रख ले ना आज चाँद को अपने आँचल में"

सुबह तक रख ले ना आज चाँद को अपने आँचल में कल पहली किरण के साथ ही अलविदा कह दूंगा चला जाऊंगा चाँद को साथ लेकर कहीं बहुत दूर, तेरे दिन के उजाले से कल से बस इसके हिस्से में अमावस होगी, वादा करता हूँ देख ना कैसे तड़प रहा है तेरी पनाह पाने को, […]

"अपना-अपना सब करते हैं"

अपना-अपना सब करते हैं, सबका क्या है पता नहीं इस झूठी धोखेबाज़ दुनियाँ में, अपना कौन है पता नहीं पैर लगा आगे बढ़ जाओ, वक़्त यही अब मांग रहा सफलता तमको तभी मिलेगी, हर व्यक्ति यही अब जान रहा गैरों की खातिरदारी में, रिश्तों की परवाह नहीं अपना-अपना सब करते हैं, सबका क्या है पता […]

"फलक पे आधा चाँद"

फलक पे आधा चाँद लुका-छिपी खेल रहा था बादलों की ओट से ज़मीं पे लालटेन की लौ लड़ रही थी मद्धम हवा से सामने बह रही शांत सी नदी में लहरों का एक कारवां गुज़र रहा था बिना रुके-थके हर इक लहर चल रही थी बड़े कायदे से आगे वाली लहर की ऊँगली थामकर किसी […]