इक और साल गुज़र रहा है, कुछ नमकीन कुछ मीठी यादें देकर
इक नया साल सामने खड़ा है, वक़्त के अनजान टुकड़ों को पोटली में बांधकर
नए लिबास में कितना मासूम दिख रहा है
अपनी पलकें खोलने को बेकरार खड़ा है
उमीदों का बहुत बोझ होगा इस आने वाले साल पर
कई अनसुलझे सवालों के जवाब भी देने है इसे
कुछ ख्वाब भी बोये हैं मैंने, गुजरते साल के आखिरी महीनो में
उन्हें सच भी करके दिखाना है इसे
इक और साल दस्तक दे रहा है , कुछ नयी सम्भावनाये लेकर
इक और साल आ रहा है नयी चुनौतियाँ लेकर
नयेपन के रंग में कितना रंगीन दिख रहा है
होंठो पे इसके इक नयी धुन है, जिसे पास आते हुए गुनगुना रहा है
मैं निडर भी हूँ, थोड़ा सहमा हुआ भी
मैं उत्सुक भी हूँ, थोड़ा भ्रमित सा भी
ये कुछ बदलाव लेकर आएगा
ये कभी सैलाब लेकर आएगा
ये कभी सर्दी की ठंडी ओस लेकर आएगा
ये कभी गर्मी की चिलचिलाती धूप लेकर आएगा
ये कभी रिमझिम सी बरसात लेकर आएगा
ये कोई नया इंकलाब लेकर आएगा
ये कुछ नए किरदार लेकर आएगा
ये कुछ रिश्तों को तोड़ता निकल जायेगा
ये कुछ ख्वाबों को हक़ीक़त कर जायेगा
ये कुछ को बिखेरता गुज़र जायेगा
ये फलक पर कभी पूरा चाँद लेकर आएगा
ये कभी काली अमावस रात लेकर आएगा
ये कभी इक नया विश्वास लेकर आएगा
ये कुछ धोखेबाज़ लेकर आएगा
इस नए वक़्त पे भरोसा रखना दोस्तों
ये शायद दो किनारों को भी मिलाएगा
मैं भी तैयार हूँ इस नए साल के स्वागत में
शायद ये मेरी कहानी में कोई प्यारा सा मोड़ लेकर आएगा
इक और साल गुज़र रहा है, कुछ नमकीन कुछ मीठी यादें देकर
इक नया साल सामने खड़ा है, वक़्त के अनजान टुकड़ों को पोटली में बांधकर
नए लिबास में कितना मासूम दिख रहा है…………………………………………….
“ऋतेश “
shubham
February 23, 2015 at 6:12 amJust Awesome………
Yami
December 5, 2016 at 8:39 amAwesome bhai. ..
Dis one is my favourite