“नहीं शौक तुझसे आज़माइश करूँ मैं”
नहीं शौक तुझसे आज़माइश करूँ मैं तुमसे बेहतर ही था तुमसे बेहतर ही हूँ वक़्त की टिकटिक पर कब टिका हूँ मैं आवारा ही था आवारा ही हूँ आवारा ही था आवारा ही हूँ! “ऋतेश“
Inspirational Hindi poems written by Ritesh Kumar Mishra.
नहीं शौक तुझसे आज़माइश करूँ मैं तुमसे बेहतर ही था तुमसे बेहतर ही हूँ वक़्त की टिकटिक पर कब टिका हूँ मैं आवारा ही था आवारा ही हूँ आवारा ही था आवारा ही हूँ! “ऋतेश“
हर बात में एक कहानी छुपी है जिसके पीछे किरदार छिपे है अलग-अलग नक़ाब लगाए हुए, छुपाते है अपनी असल शक़्ल को इस क़दर जो कभी सामना हो खुद का आईने से तो खुद की आँख भी धोखा खा जाये और नक़ाब ओढ़े हुए किरदार को खुद भी ना पहचान पाए यही फलसफा है दुनिया […]
किसकी तलाश में हो क्या ढूंढ रहे हो तुम क्या क्या याद है तुम्हे अब तलक क्या खुद को ही भूल गए हो तुम क्या तुम में वो बात है क्या तुम्हारी औकात है कौन से सवालों में उलझे हुए हो किसके जवाब से परेशां हो तुम आग है अभी भी या सिर्फ राख बची […]
यादों को यादों की गलियों में छोड़ ख्वाबों को चुनने हम चल दिए हैं ठंडी सी रात में आँखों को मीचे दिन की तलाश में हम सिरफिरे हैं तलब है उजाले को मुट्ठी में करना अंधेरो को पीछे छोड़कर हम चले है लकीरे हथेली की यूँ ना बदलेंगी बदलने को तक़दीर सजग हैं, अटल हैं […]
कुछ अच्छा करना है तो सोच बदलो ज़िद करो, ज़िद्दी बनो, उठो, रेंगो मत दौड़ो, मंज़िल बहुत दूर नहीं है वो बस तुम्हारी उम्मीद और मेहनत के इक महीन धागे से बंधी है तुम्हारा हौसला उसे और मज़बूत करेगा थको मत, दुनिया बदलने का माद्दा है तुममे खुद को पहचानो और बदल दो खाका इस […]
फुरसत नहीं इबादत की तो खुदा से तो शिकायत ना करें ना जीत सकें औरो से, तो अपनों से ना लड़े उलझने कम नहीं हैं इस ज़माने में, इन्हे और न बढ़ाएं सुलझाएं इन्हे खुद से, औरों पे न मढ़े माना उलझी हैं, हाथों और माथे की लकीरें चलें वक़्त के साथ, वक़्त से न […]
इक और साल गुज़र रहा है, कुछ नमकीन कुछ मीठी यादें देकर इक नया साल सामने खड़ा है, वक़्त के अनजान टुकड़ों को पोटली में बांधकर नए लिबास में कितना मासूम दिख रहा है अपनी पलकें खोलने को बेकरार खड़ा है उमीदों का बहुत बोझ होगा इस आने वाले साल पर कई अनसुलझे सवालों के […]
छुपा लूंगा दर्द के हर निशाँ और डाल दूंगा मिट्टी की इक मोटी परत उनपे वापस बोऊंगा नए बीज कल्पनाओं के, सपनों के खड़ा करूँगा इक नया पेड़, भले इक सदी खर्च दूँ फिर से पर मैं नहीं पहनूंगा कोई नक़ाब मैं नहीं बदलूंगा वक़्त की किसी चाल पे बनाऊंगा इक नया आशियाँ इक नया […]
हवा चली, पत्ते हिले, कुछ टूट गए, कुछ लगे रहे कुछ को कीड़ों ने खाया था, कुछ ताज़ा थे कुछ सड़े-गले सबकी ख्वाहिश सब जुड़े रहे, पर मौत कहा वो टाल सके किस पल को रुखसत होना है, ये राज़ कहा वो जान सकेकुछ के जाने पर कुछ रोये, कुछ से सब अनजान रहे कुछ […]